ट्रेनों में निजी हिस्सेदारी आमजन व कर्मचारी वर्ग के लिए घातक - गहलोत
सिरोही ब्यूरो न्यूज़
सिरोही : केन्द्र की मोदी सरकार द्वारा ट्रेनों को निजी हाथों में सौपने पर अखिल राजस्थान राज्य कर्मचारी महासंघ (लोकतांत्रिक) के कार्यकारी प्रदेशाध्यक्ष एवं राजस्थान शिक्षक संघ प्रगतिशील के वरिष्ठ प्रदेश उपाध्यक्ष धर्मेन्द्र गहलोत कडी प्रतिक्रिया व्यक्त कर ट्रेनों को ठेके पर देने के निर्णय को आमजन एवं कर्मचारी विरोधी निर्णय बताया हैं।
संघ (प्रगतिशील) के वरिष्ठ प्रदेश उपाध्यक्ष एवं महासंघ के नेता धर्मेन्द्र गहलोत ने बताया हैं कि केन्द्र सरकार द्वारा रेल्वे को निजी हाथों में सौपने का फैसला भारत की आम जनता को किसी भी स्थिति में रास नही आ सकता हैं क्योंकि रेल्वे निजी हाथों में जाने के बाद उनका किराया तय करने का सम्पूर्ण अधिकारी ट्रेन चलाने वाली कम्पनी का होगा। फिलहाल 109 मार्गां पर 151 आधुनिक ट्रेनें चलाने का निर्णय आमजन एवं कर्मचारियों के लिए घातक साबित होगा क्योंकि निजी हाथों में जाने के बाद रेल्वे के कर्मचारियों के स्थान पर ठेके वाले कर्मचारियों की नियुक्ति होगी। साथ ही निजी ट्रेनों में सुविधा के अनुसार टिकट किराये का निर्धारण कर आमजन की जेब काटी जायेगी।
मोदी सरकार के प्रथम बार प्रधानमंत्री बनने के बाद से ही ट्रेनों को निजी हाथों में सौपने की तैयारी के बाद देश भर में रेल्वे युनियन व अन्य कर्मचारी संगठनों द्वारा रेल्वे के निजीकरण के विरोध में आन्दोलन को देख केन्द्र की मोदी सरकार ने स्पष्ट किया था कि रेल्वे को निजी हाथों में नहीं सौपा जायेगा। लेकिन बडे दुर्भाग्य की बात हैं कि प्रथम चरण में कुछ रेल्वे स्टेशनों को निजी हाथों में देने के बाद अब धीरे-धीरे मोदी सरकार ने आखिर ट्रेनों को निजी हिस्सेदारी में चलाने का निर्णय करने से आमजन एवं कर्मचारी वर्ग का शोषण होने के साथ ही रेल्वे में नौकरी का सपना देखने वाले बेरोजगारो के साथ भी कुठाराघात होगा।
गहलोत ने कहा कि पूरे विश्व में भारतीय रेल का नाम सुविधा एवं कम किराये में सफर करवाने के लिए अग्रणी भुमिका निभाने के बावजूद देश की आजादी के बाद रेल्वे को किसी भी सरकारों ने निजी हाथों में देने का इसलिये प्रयास नहीं किया कि यह आमजन को कम किराये में यात्रा कराने की सुविधा देने में महत्पपूर्ण भुमिका निभाई है। लेकिन केन्द्र की मोदी सरकार का यह फैसला आमजन एवं कर्मचारी वर्ग के लिए घातक साबित होगा।