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गोसेवा का ऐसा जज्बा की घंटी बजते ही पहुच जाते इलाज कराने : टांक

सिरोही ब्यूरो न्यूज़

रिपोर्ट किशन माली

पिंडवाड़ा कस्बे के गोसेवक भरत टांक व कार्यकर्ताओं ने जिन्होंने मूक जानवरो के प्रति अपना जीवन समर्पित कर दिया है जीव दया का ऐसा अनूठा उदाहरण कलयुग में कम दिखने को मिलता है। भरत टांक अपने आसपास क्षेत्र मैं कई भी और कभी भी किसी मूक जानवर के बीमार होने की अथवा घायल होने की सुचना मिलते ही बिना दिन रात देखे दौड़ पड़ते है पिछले तीन वर्षों से करीब बीमार एवम जख्मी गायो 200 को उपचार के लिए गोशाला भेजा गया जहाँ पशु चिकित्सको दारा इलाज किया जा चूका है उनकी जान बचाई जा चुकी है।

घायल गाय गर्भवती गायो का भी करते है देखभाल। सहर में घायल गायो के अलावा पसु पालको दारा जो गायो को विचरण के लिए छोड़ देते है तब कई भी गर्भवती गाय बछड़े को जन्म देती है तो भरत टांक उनके मालिको को बुलाकर उनको सुपुर्द कर देते है कई बार गर्भवती गायो के बछड़े मोके पर मौत हो जाती ह तब उसको भी हिन्दू विधि विधान से समाधि देते हैं।

40 से अधिकतर वानरों को हिन्दू विधि विधान से दी समाधि कई का करवाया उपचार। सहर में जब घायल वानरों की सूचना मिलती ह तो भरत टांक निस्वार्थ मोके पर पहुच कर उसका उपचार करवाते है। बाद में अपने वाहन से गोशाला छोड़ देते है वही मृत बंदरो को हिन्दू विधि विधान से समाधि देते है वानरों का उपचार करना तथा उनकी समाधि देने के लिए सारे खर्च व्यय खुद करते है।

इस सेवा से सहर में लोगो दारा भर त टांक एवम उनकी पूरी टीम को लोग प्रंशसा व काबिले तारीफ कर रही है। अब तक भरत टांक उपखंड स्तर वह कई सांस्कृतिक कार्यक्रमो मैं सम्मानित हो जा चुके है। उनके सहयोगी गोविंद परमार दिनेस प्रजापत मनीष प्रजापत कैलाश राजेश वही और कई युवा उनके साथ कंधे से कंधे मिलाकर साथ चल रहे है यह पूरी टीम निस्वार्थ कार्य कर रही है यह किसी भी राजनीति दलो एवम नगर पालिका प्रशाशन पर आशित्र नही है।

घंटी बजते ही तुरंत पहुच जाते ह इलाज कराने

जब किसी की मूक जानवर की देर रात तक कुछ भी घटना हो जाती है। तन भरत टांक उनके सहोयगी दिन रात देखे उसका इलाज कराने पहुच जाते ह जब तक उसका उपचार नही होता ह तब तक वे उस कार्यो को नही छोड़ते है। दुनिया में मूक जानवरो के प्रति ऐसे कार्यकर्ता बहुत लगभग कम मिलते है। वही समाज के युवाओं को भी जागृत करने का काम करते है।

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