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कर्मचारियों की वेतन कटौती बर्दाश्त योग्य नहीं - गहलोत

सिरोही ब्यूरो न्यूज़

सिरोहीः-कटौती के विरोध में अखिल राजस्थान राज्य कर्मचारी संयुक्त महासंघ जिला अध्यक्ष धर्मेन्द्र गहलोत के नेतृत्व में पदाधिकारियों ने प्रदर्शन कर जिला कलेक्टर सिरोही के माध्यम से मुख्यमंत्री, मुख्य सचिव एवं अतिरिक्त मुख्य सचिव (वित्त) के नाम ज्ञापन देकर अविलम्ब वेतन कटौती बन्द करने की मांग की।
महासंघ जिला अध्यक्ष धर्मेन्द्र गहलोत ने ज्ञापन में बताया कि राज्य सरकार ने कोरोना में ड्यूटी दे रहे राज्य कर्मचारियों की वेतन कटौती कर अन्याय किया है।

कर्मचारियों को प्रोत्साहन देने के स्थान पर प्रतिमाह 1 से 2 दिवस का वेतन काट कर अलोकतांत्रिक निर्णय लिया है राज्य सरकार एक वर्ष में प्रत्येक कर्मचारी व अधिकारी से प्रतिमाह एक से दो दिवस की वेतन कटौती कर समर्पित अवकाश का नकद भुगतान रोका तथा माह मार्च 2020 का 16 दिवस का वेतन रोक कर कोविड-19 के नाम पर प्रत्येक अधिकारी व कर्मचारी से मोटी रकम वसूल करना चाहती है।

जिसे किसी भी हालत में बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। राज्य सरकार एक तरफ कोरोना महामारी के नाम कर्मचारियों का एक-दो दिन का वेतन काट रही हैं जबकि दुसरी तरफ विधायकों के भत्तो में 60 फिसदी की वृद्धि करना सरकार के दौहरे चरित्र को उजागर करती हैं। वेतन कटौती आदेश को तुरंत वापस लेकर कर्मचारियों द्वारा कोरोना महामारी में सराहनीय कार्य करने के लिए प्रोत्साहन किया जाये।

गहलोत ने बताया कि प्रदेश के राज्य कर्मियों बोर्ड निगम स्वायत्तशाषी संस्थाओं पंचायती राज एवं सहकारी संस्थाओं के कार्मिकों के वेतन से राज्य सरकार द्वारा जबरन वसूली की जा रही है जो असंवैधानिक व अनुचित है सरकार के इस अलोकतांत्रिक निर्णय से प्रदेश के तमाम कर्मचारियों में सरकार के प्रति आक्रोश व असंतोष व्याप्त है। राज्य कर्मचारियों ने सरकार की वेतन कटौती के विरोध में आंदोलन का निर्णय लिया है। ’आगामी दिनांक 08-11-2020 को राजस्थान विधानसभा के समस्त विधायकों का घेराव किया जावेगा एवं दिनांक 11-11-2020 को समस्त जिला मुख्यालयों पर कर्मचारियों द्वारा गिरफ्तारी दी जावेगी।’ सरकार द्वारा समय रहते राज्य कर्मियों को मिल रही आर्थिक सुविधायें बहाल नहीं की एवं वसूल की गयी राशि पुनः नही लौटायी तो राज्यव्यापी आंदोलन से आम जनता को होने वाली समस्त सुविधाओं की जिम्मेदारी राज्य सरकार की होगी। इस अवसर पर शिक्षक नेता डॉ.हनवन्तसिंह मेडतिया, विक्रमसिंह सोलंकी, इनामुल हक कुरैशी, जगदीश खण्डेलवाल, देवेश खत्री, मनोहरसिंह चौहान, इन्दरमल खण्डेलवाल, रमेश परमार, धर्मेन्द्र खत्री, अमीत मालविय, रधुनाथ मीणा, महेन्द्रसिंह सोलंकी, सत्य प्रकाश मालवीय, रमेश दहिया, गुरूदीन वर्मा, भंवरसिह दहिया, ओमजीलाल शर्मा, सविता शर्मा, नवनीत माथुर, रामावतार, भीखाराम कोली, जितेन्द्र परिहार, अशोक आढा, राजेश कोठारी सहित विभिन्न शिक्षक नेताओं ने वेतन कटौती के विरोध में आर-पार की लडाई हेतु तैयार रहने पर सहमति जताई।

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