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आबूरोड पालिका चुनाव परिणाम के बाद विधायक संयम लोढा ने जिला परिषद,व पांचो पंचायत समितियों को फतह करने में झोंकी पूरी ताकत।

सिरोही ब्यूरो न्यूज़

भाजपा व कोंग्रेस दोनो जबरदस्त गुट बाजी की शिकार।पंचायती संस्थाओ के चुनाव परिणाम भविष्य की विधानसभा का भविष्य करेंगे तय।।

रिपोर्ट हरीश दवे

सिरोही विगत दशकों से राजनीतिक वर्चस्व,जातिवादी राजनीति की चपेट में भाजपा और कोंग्रेस दोनो संगठन जबरदस्त गिरफ्त में है।कोंग्रेस ने गत पंचायती राज चुनावो में पहली बार जिला परिषद में जिला प्रमुख की सीट कोंग्रेस ने गवाई ओर भाजपा की पायल परसरामपुरिया जिला प्रमुख बनी।

भाजपा जिलाध्यक्ष, सांसद, पूर्व गोपालन मंत्री की उठापठक राजनीति में प्रधान के दावेदार कोई और थे और अपने वर्चस्व के दम पर रेवदर में प्रधान पूंजाराम मेघवाल ओर सिरोही में भाजपा प्रधान श्रीमती प्रज्ञा कुंवर बने पर आबूरोड पंचायत समिति पूर्व विधायक लालाराम गरासिया ने भाजपा को नही जितने दी।और पूर्व गोपालन मंत्री के होते हुए भी भाजपा शिवगंज में प्रधान नही बना सकीओर कोंग्रेस जिलाध्यक्ष जीवाराम आर्य प्रधान बने।

भाजपा की अंतर्कलह की शिकार जिला परिषद भी बनी थी और जिला प्रमुख पायल परसरामपुरिया को हटाने में भाजपा की गुट बाजी विफल रही।।

गत विधानसभा चुनाव में जिले की तीनों विधानसभा सीटों में कोंग्रेस का तो सूपड़ा भीतर घात ओर गुट बाजी के चलते साफ हो गया जिसमें सीएम अशोक गहलोत के चहेते प्रत्याशी नीरज डांगी को दूसरी बार पराजय का वरण करना पड़ा और कोंग्रेस जिलाध्यक्ष की जमानत जब्त हो गई और पूर्व मंत्री भोपाजी भी भितरघात में संयम आंधी में खेत रहे।उसके बाद सिरोही जिले की राजनीति में आये भूचाल में जिलाध्यक्ष भाजपा लुम्बाराम राम चौधरी को अपने पद की बली देनी पड़ी और संघ पृष्ठभूमि के नारायण पुरोहित तीसरी बार भाजपा जिलाध्यक्ष बने।

पर जिले की राजनीति का मुख्य केंद्र निर्दलीय के रूप में जीते विधायक संयम लोढ़ा जिन्होंने अपनी धाकड़ राजनीतिक चतुरता से सिरोही नगर परिषद ओर शिवगंज नगर पालिका में भाजपा की चौधराहट को विध्वंस किया। और अब अपनी राजनीतिक शक्ति का परिचय देते हुए पूरी ताकत आगामी पंचायती राज संस्थाओं में जिला परिषद, जिला प्रमुख ओर पांचो पंचायत समिति में प्रधान बनाने में झोंक दी है।

इसका जीता जागता उदाहरण कल की जावाल में कोंग्रेस की बैठक और आज की पिंडवाड़ा व स्वरूपगंज की मैराथन बैठकों का रहा जिसमे उन्होंने प्रमुख कार्यकर्ताओ व समर्थको से फिड बेक लिया और पंचायती राज संस्थाओं को जीतने की व्यूह रचना में बूथ लेवल तक तैयारी शुरू कर दी है ऐसी जानकारी सूत्र दे रहे हैं।

हालांकि पंचायती राज संस्थाओं के चुनावों की अधिसूचना ओर तिथि के अलावा जिला प्रमुख प्रधान ओर सदस्यों डेलीगेट की लॉटरी निकलनी बाकी है।और भाजपा कोंग्रेस के दिग्गजों के मंसूबे सीट घोषणा के बाद ही परवान चढ़ेंगे लेकिन जनरल,ओबीसी जिला प्रमुख की लॉटरी खुलती है तो कोंग्रेस के जिलाध्यक्ष जीवाराम आर्य,अनाराम बोराणा,हरीश चौधरी,पूर्व जिला प्रमुख चन्दन सिंह देवड़ा,राजेन्द्र सांखला ओर भाजपा के जिलाध्यक्ष नारायण पुरोहित,पूर्व जिलाध्यक्ष लुम्बाराम चौधरी,पूर्व जिला प्रमुख कानाराम चौधरी,कालूराम चौधरी,अरुण परसरामपुरिया समेत अनेक दिग्गज उलट फेर को तैयार है।

गुट बाजी में विभक्त कोंग्रेस एसोसिएटेड निर्दलीय विधायक संयम लोढा, जिलाध्यक्ष जीवाराम आर्य,सांसद नीरज डांगी, कोंग्रेस नेता रतन देवासी की गुट बाजी में विभक्त है जिसमे कोंग्रेस एस का पलड़ा भारी नजर आ रहा है और उनकी सेंधमारी पूर्व की तरह भाजपा संगठन और निर्वाचित जन प्रतिनिधि ओर भितरघाती नेताओ पर भी है।वही भाजपा भी गुट बाजी से अछूती नही है।

भाजपा के शांत शालीन जिलाध्यक्ष तमाम परिस्तिथियों को भांप भाजपा संगठन को चला रहे है पर भाजपा जिले में विपक्ष की भूमिका का निर्वहन गुट बाजी में नही कर पा रही है।प्रदेश की भाजपा राजनीति में पूर्व सीएम वसुंधरा राजे का रुतबा ओर जलवा अब भी बेकरार है तथा वसुंधरा खेमे के सांसद देवजी पटेल अपनी राजनीति चला रहे है।वही जिले ओर सिरोही विधानसभा क्षेत्र में हार के बाद भोपाजी की निष्क्रियता से भी संगठन में उनके समर्थक मायूस नजर आ रहे है।कोराना काल और गत दो वर्षों में भोपाजी का सिरोही में प्रवास दर्जन भर से ज्यादा रहा व गत दिनों जब राज्य सरकार और उसके जनप्रतिनिधि दो साल की उपलब्धियां बता रहे थे इस दौरान भोपाजी ओटाराम देवासी अपने समर्थकों के साथ पिसी में दिखाई दिए और पूर्व गोपालन मंत्री ओटाराम देवासी आबूरोड नगर पालिका में भी नजर नही आये।आबूरोड नगर पालिका के चुनावों में गुटबाजी के बावजूद चुनाव प्रभारी पूर्व शिक्षा मंत्री वासुदेव देवनानी ओर जिलाध्यक्ष नारायण पुरोहित की रणनीति से भाजपा को बोर्ड बनाने में बहुमत से ज्यादा वोट मिले पर विधायक जगसी कोली की सबंधी आबूरोड नगर अध्यक्ष भूपेंद्र साम्बरिया व ओबीसी मोर्चा के जिलाध्यक्ष मनीष मोरवाल की हार भी चर्चा का विषय रही जिसको लेकर सोशल मीडिया में जम कर चर्चा चल रही है।।उधर खेमे बाजी में बटी कोंग्रेस आबूरोड चुनावो में भी विधायक संयम लोढा ने अपने समर्थकों को पार्षद के टिकट दिलाये प्रचार किया और जिताने में अहम भूमिका निभाई।

अब लोढा की निगाहें पंचायती राज चुनाव में भी ऐसे उम्मीदवारों की खोज में लग गए हैं कि वह अपना दमखम पता कर सीट निकाल सके और पंचायती राज पर कब्जा कर सके।

सोसल मीडिया में जम कर चर्चा चल रही है कि आबूरोड नगरपालिका में भाजपा का बोर्ड बनने पर सिरोही जिले की पूरी भाजपा को बधाई साथ ही कोंग्रेस के दोनों गुटों को भी बधाई, जिन्होंने एक दूसरे गुट के प्रत्याशियों को हराने में ही ताकत लगाई व भाजपा को पालिका में स्पष्ट बहुमत दिलाया... हालांकि भाजपा इसे कार्यकर्ताओं की एकजुटता व जनता के विश्वास की जीत बताती हैं पर कोंग्रेस की गुटबाजी का ही परिणाम हैं।की पांच साल निवर्तमान अध्यक्ष सुरेश सिंदल के समय आबूरोड में विकास तो हुए पर उनके खिलाफ भाजपा के कुछ पार्षद लगातार मोर्चे भी खोलते रहे अगर कोंग्रेस में गुटबाजी नहीं होती तो शायद परिणाम दूसरे ही होते... कोंग्रेस के नेता भले ही गुटबाजी की बात को सिरे से नकारते हो पर गुटबाजी की स्पष्ट तस्वीरें सामने आ ही जाती हैं। नगरपालिका आबूरोड के अध्यक्ष के चुनाव में भाजपा के पास 21 पार्षद हैं, और भाजपा के दावों के मुताबिक 8 निर्दलीय पार्षदों का भी उन्हें समर्थन था इस प्रकार कुल 29 मत भाजपा को मिलने चाहिए थे, पर भाजपा को मिले 33 वोट... ये अतिरिक्त 4 वोट कहां से आए?... आखिर कौनसे कोंग्रेसी पार्षद थे, जिन्होंने भाजपा के अध्यक्ष पद के प्रत्याशी को वोट किया?... कोंग्रेस के सिंबल पर जीतकर आए पार्षदों का क्रॉस वोट करना, गुटबाजी नहीं तो क्या हैं?... ये पार्षद अगर क्रॉस वोट नहीं भी करते तब भी भाजपा का ही अध्यक्ष चुनाव जीतता, चुनाव के परिणामों पर इसका कोई असर नहीं पड़ता, फिर भी क्रॉस वोटिंग??... आखिर ये क्रॉस वोटिंग किसके इशारे पर हुई। ये रहस्य तो कोंग्रेसी पार्षद ही जाने पर राजनीतिक गलियारों में यह चर्चा अवश्य है कि कोंग्रेस आबूरोड चुनाव में फ्री हेंड विधायक लोढा को देती तो आक्रामक चुनाव प्रचार पासा बदल सकता था।

अब पंचायती राज चुनावों में खण्ड खण्ड विभक्त कोंग्रेस व भाजपा की इसी गुटबाजी का फायदा किसको मिलता है यह तो भविष्य के गर्भ में है लेकिन आबूरोड बोर्ड बनाने से भाजपा उत्साहित है और भाजपा जिलाध्यक्ष नारायण पुरोहित के लिए चुनोती है कि वो जिला प्रमुख दुबारा भाजपा का बना रेवदर, पिंडवाडा,सिरोही पंचायत समिति में प्रधान बनाने के साथ शिवगंज ओर आबूरोड पंचायत समितियां कोंग्रेस से छिनती है तो इस गुटबाजी का शिकार जरूर होगी, सिरोही और शिवगंज में इस गुटबाजी का असर कितना होगा, ये वक्त ही बताएगा। पर आगामी पंचायती राज चुनावो जिले के भाजपा कोंग्रेस के सभी दिग्गज नेताओं की साख आगामी विधान सभा चुनावों के परिणामो पर भी निर्णायक प्रभाव डालेगी।जिसमे विधायक संयम लोढा ओर भाजपा जिलाध्यक्ष नारायण पुरोहित पर सबकी नजर है कि जिला प्रमुख ओर सिरोही विधानसभा की सिरोही व शिवगंज पंचायत समिति में कोंन किसपे भारी पड़ता है।और पूर्व गोपालन मंत्री ओटाराम देवासी, भाजपा सांसद देवजी पटेल,राज्य सभा सांसद नीरज डांगी का राजनीतिक प्रभाव आगामी चुनावों में भीतर घात से निपटने में क्या गुल खिलाता है।

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