आजादी के अमृत महोत्सव में "लीलुडी बरली"एकी आंदोलन के शहीदों को किया याद दी श्रद्धांजलि
सिरोही ब्यूरो न्यूज़
स्वर्गीय गोकुल भाई भट्ट, प्रजा मण्डल व लीलुडी बरली का इतिहास पाठ्य क्रम में शामिल हो।
रिपोर्ट हरीश दवे
सिरोही | आजादी के अमृत महोत्सव में एसपी कॉलेज सिरोही के छात्रों की ओर से ब्रिटिश रियासत काल मे हुए 'लिलुड़ी-बड़ली' हत्याकांड की 100वीं बरसी पर शहीद स्थल पर जाकर श्रद्धांजलि सभा का आयोजन किया गया। इस अवसर पर 1922 में शहीद हुए आदिवासी वीरों को श्रद्धा सुमन अर्पित किये गए।
इस दौरान एसडीएम माउंट आबू कनिष्क कटारिया ने कहा कि 'लिलुड़ी-बड़ली' की घटना की 100वीं बरसी पर आजादी के अमृत महोत्सव के तहत कर्यक्रम आयोजित कर मारे गए आदिवासियों को हम नमन करते हैं। उन्होंने कहा कि आदिवासियों को शिक्षा के माध्यम से सामाजिक विकास और सरकारी कल्याणकारी योजनाओं का लाभ उठाना चाहिए और अपने पूर्वजों के बलिदान के सम्मान को बनाए रखना चाहिए। देश की आजादी के आंदोलन में भाग लेने वाले वीरों की गाथाओं को उजाकर कर उनके योगदान को उचित सम्मान देना चाहिए।
कार्यक्रम में उपखण्ड अधिकारी हसमुख कुमार, जनजाति परियोजना अधिकारी मनोहर सिंह ने भी अपने विचार व्यक्त किए। इस अवसर पर इतिहासकार एवं एस। पी। कॉलेज प्राचार्य डॉ वी के त्रिवेदी ने उपस्थित छात्रों एवं जनजाति बंधुओं को 'लिलुड़ी-बड़ली' के ऐतिहासिक घटना क्रम का विस्तार ब्यौरा दिया और बताया कि इस घटना को राजस्थान का जलियांवाला बाग हत्याकांड भी कहा जाता है।
भारतीय सांस्कृतिक निधि सिरोही अध्याय के संयोजक आशुतोष पटनी ने सभी का स्वागत करते भुलवालोरिया क्षेत्र में मोतीलाल तेजावत के नेतृत्व में एकी के माध्यम से आदिवासियों द्वारा अनुचित करों के विरोध में लामबंद होने पर अंग्रेजी हुकूमत के द्वारा किये गए अत्याचारों को बताया और वंचित वर्गों, गरीबों और आदिवासी भील गरासियों की ओर से स्वतंत्रता संघर्ष में किये गए बलिदानों और शहादतों के बारे में विस्तृत शोध कि आवश्यकता बताई।
जिसके माध्यम से समय पर स्थानीय इतिहास के गुमनाम तथ्यों से शोधकर्ताओं को रूबरू करवाया जा सके। उन्होंने कहा कि सिरोही रियासत में हुई इस घटना का उल्लेख राजस्थान के स्कूली पाठ्यक्रम में होना चाहिए ।कार्यक्रम में जनजातीय छात्रावास कि बालिकाओं ने आदिवासी संस्कृति आधारित लोक नृत्य प्रस्तुत किया और अपनी संस्कृति का परिचय दिया। इस अवसर पर स्थानीय स्कूल प्रधानाचार्य देवीलाल परमार, एस पी कॉलेज के सहनिदेशक आदित्य पटनी, प्राध्यापक हितेश सुथार एवं अजित विद्या मंदिर सिरोही के प्रधानाचार्य रोहित जानी, ललित सगरवंशी, पुनाराम पटेल, मुकेश गमेती उपस्थित रहे। गौर तलब है की आबू के आदिवासी अंचल ओर सिरोही रियासत के भुला गाँव मे 100 साल पहले हुए इस संघर्ष में प्रजा मण्डल के तत्कालीन नेता व सिरोही संदेश के पत्रकार पंडित भीमाषंकर शर्मा का तत्कालीन ब्रिटिश हुकूमत व सिरोही रियासत के विरुद्ध आंदोलन में अहम भूमिका थी ओर उन्हें सिरोही रियासत से इस आंदोलन की वजह से देश निकाला दिया था। पर आजादी के बाद प्रजामण्डल,स्वतंत्रता सेनानियों इतिहासकार डॉ गौरीशंकर हीराचन्द ओझा, आजादी आंदोलन के महान रास्ट्रीय कोंग्रेस व राजस्थान के सर्वोदयी नेता गोकुल भाई भट्ट को जिस तरह जिले में भुलाया जा रहा है वैसे ही लीलुडी बरली की मूल वास्तविकता से भी भविष्य की पीढ़ी अनजान है।