संपादकीय

शहर में आवारा पशुओं का आतंक, घायल होते लोग, पंगु व्यवस्थाएं व शांति से जीते शहरवासी!

 

सिरोहोवाले ब्यूरो ऑफिस
धनराज माली


सिरोही। शहर में हर गली, हर नुक्कड़, हर चौराहे व हर सड़क पर आवारा पशुओं का जमघट लगा रहता है। गली गली घूमते आवारा सांड व गौवंश की चपेट में आए दिन लोग आते है। सड़कों पर चलना मुश्किल हो गया है। पूरे दिन घूमकर थके हुए सांड व गौवंश रात्रि में तो इस शहर में हर गली में इस तरह सुस्ताता है कि वहा से निकलना भी मुश्किल होता है।

आज एक व्यक्ति के गंभीर रूप से घायल होकर हॉस्पिटल पहुंचने की खबर कोई साधारण खबर नहीं है बल्कि शहर की व्यवस्थाओं की पोल खोलती हेडिंग भी है। सिर्फ आदमी घायल नहीं है, व्यवस्थाएं व जिम्मेदार भी घायल है!!? नगर परिषद सिरोही में भारतीय जनता पार्टी के बोर्ड के होते ऐसी खबरें हमेशा अखबार की सुर्खियों में होती थी, सोशल मीडिया पर भी खबरें टहलती रहती थी लेकिन अब खबरें थोड़ी कम आती है। शायद भाजपा कांग्रेस के जिम्मेदार पार्षद न गलियों से निकलते है न उनका सड़कों से गुजरना होता है! गहन अंधेरे में रहने के आदि शहर के पार्षद खामोश है, इनकी खामोशी की वजह भी कम खामोश नहीं।

वैसे एक बात बहुत रोचक है कि लोग सोशल मीडिया पर गौ माता को राष्ट्र माता घोषित करवाने की पोस्ट खूब वायरल करते है। धर्म, कर्म की खबरें भी खूब वायरल करते है लेकिन असली मुद्दों पर सब चुप हो जाते है।

वैसे तो शहर के हर गली नुक्कड़ पर आवारा पशुओं का जमावड़ा रहेगा लेकिन कुछ मोहल्ले तो इन हेतु आरक्षित है। भाटकड़ा चौराहे से रेबारी वास होते हुए कभी हिंदू श्मशान घाट का चक्कर रात में लगाइए, चलना निकलना तक मुश्किल है। बरसात हो जाए तो दुर्गंध से सांस लेना मुश्किल, बरसात में पानी से बिखरा गोबर आपको फिसलने पर मजबूर कर देगा। अधिकांश गाय दूध देती है। सुबह भोर होने से पूर्व दूध निकालने के वक्त इनके मालिक बकायदा आते है, कभी निकलिए शहर की इन गलियों में। वैसे तो आवारा गौवंश शब्द भी गलत है, आवारा कुछ भी नहीं है, सबके मालिक है।
सिरोही शहर शांति वाला शहर है, अमन वाला शहर हैं, न काऊ से दोस्ती न काऊ से बैर वाला शहर। वोटबैंक की राजनीति के चलते कोई किसी को कोई नाराज नहीं करता, सबको खुश रखने की प्रवृति कभी कभी किसी को टूटी हड्डियों के साथ हॉस्पिटल पहुंचा भी देता है तो क्या हर्ज है??!
#RAHI

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