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सिरोही जिला कलक्टर ने आमजन से की अपील, राष्ट्र ध्वज हमारा एक राष्ट्रीय प्रतीक, ध्वज संहिता का पालन करे

सिरोहीवाले ब्यूरो ऑफिस
हरीश दवे, सिरोही

सिरोही। जिला कलक्टर डाॅ. भंवर लाल ने आमजन से अपील करते हुए कहा कि 15 अगस्त 2022 को स्वतन्त्रता के 75 वर्ष पूर्ण हो रहे है, अतः यह आजादी का अमृत महोत्सव (Azadi Ka Amrit Mahotsav) है। राष्ट्र ध्वज हमारा एक राष्ट्रीय प्रतीक है। उन्होने राष्ट्र ध्वज की जानकारी देकर बताया कि हमारे राष्ट्र ध्वज को तिरंगा भी कहते है। क्योंकि इसमें तीन रंगों की क्षैतिज पट्टिया होती है। ऊपर केसरिया, मध्य में सफेद और नीचे हरे रंग की पट्टी। सभी पट्टिया नाप में समान होती है कोई छोटी-बड़ी नहीं हो सकती। मध्यम की सफेद पट्टी में 24 तीलियोंवाला नीले रंग का चक्र होता है। ध्वज आयताकार होता है, जिसकी लम्बाई-चैडाई का   3: 7 अनुपात होता है। इस तिरंगे की अभिकल्पना पिंगली वैकेया ने की थी जिसे 22 जुलाई 1947 को भारतीय संविधान सभा की बैठक में अपनाया गया।

जिला कलक्टर ने ध्वज संहिता (राष्ट्र ध्वज फहराने के नियम) की जानकारी देकर बताया कि पहले सूर्योदय के बाद फहराने और सूर्यास्त के पूर्व अवतरण का नियम था। अब इसे निरंतर फहरा सकते है। राष्ट्र ध्वज सीधा फहराना चाहिए, अतः केसरिया रंग ऊपर ओर हरे रंग की पट्टी नीचे रहनी चाहिए। राष्ट्र ध्वज फटा, पुराना, सिलवट भरा या मैला नहीं होना चाहिए। राष्ट्र ध्वज फहराते समय या अवतरण के समय किसी भी सूरत में जमीन को नहीं छूना चाहिए। ध्वजारोहण के समय तेज गति से चढाते है, अवतरित करते समय धीरे-धीरे उतारे। राष्ट्र ध्वज के ऊपर कुछ भी नहीं होना चाहिए। इसके पास अन्य कोई ध्वज बड़ा और ऊॅंचा नहीं फहराया जा सकता है। राष्ट्र ध्वज पर कुछ भी लिखना, बनाना या विलोपित करना गैर कानूनी है। किसी वाहन के पीछे, प्लेन या जहाज में तिरंगा नहीं लगाया जा सकता। किसी सामान या भवन को ढकने के लिए इसका इस्तेमाल नहीं कर सकते है। इसका व्यावसायिक उपयोग नहीं किया जा सकता है। काटन सिल्क, खादी के अलावा अब पोलिएस्टर और मथीन से बना ध्वज भी मान्य है।

जिला कलक्टर ने ध्वज संहिता (राष्ट्र ध्वज फहराने के नियम) की जानकारी देकर बताया कि महान व्यक्तियों और शहीदों को सम्मान देने के लिए उनका शव तिरंगे में लपेटते है जिसमें केसरियां रंग सिर की तरफ और हरा रंग पांव की तरफ रखना आवश्यक है। दाह संस्कार से पूर्व ध्वज को हटा लेते है तथा शव के दाह संस्कार के पश्चात् उस ध्वज को चुपचाप जलाकर पवित्र नदीं में समाधि देते है। यहीं प्रक्रिया क्षतिग्रस्त ध्वज के साथ भी होती है। किसी मंच पर कार्यक्रम में भाषण देने वाले वक्ता के आगे दाहिनी तरफ ध्वज होता है, पीछे नहीं रख सकते। ध्वज फहराते और अवतरित करते समय सम्मान पूर्वक स्थिति में रहना चाहिए।

जिला कलक्टर ने आजादी के अमृत महोत्सव के अन्तर्गत स्वतंत्रता के 75 वर्ष पूरे होने के उपलक्ष में जिले के समस्त नागरिकों से आग्रह किया कि हर घर तिरंगा अभियान में 13 से 15 अगस्त 2022 तक जिले के हर घर एवं राजकीय भवनों पर हमारा राष्ट्रीय ध्वज तिरंगा फहराया जायेगा, जिसमें आप सभी सहभागी बनकर उत्साहपूर्वक अपने घर एवं राजकीय भवनों पर हमारा राष्ट्रीय ध्वज तिरंगा फहराया जायेगा, जिसमें आप सभी सहभागी बनकर उत्साहपूर्वक अपने घर एवं राजकीय भवनों पर तिरंगा फहराते समय निम्न नियम-कायदों की पूर्ण पालना सुनिश्चित करते हुए इस राष्ट्रीय गौरव अभियान के सहभागी बने।

उन्होने कहा कि तिरंगा, राष्ट्रीय सम्मान का प्रतीक है और राष्ट्रीय प्रतीक का व्यवसायिक इस्तेमाल नहीं किया जा सकता हैं। झण्डे पर कुछ भी लिखना, बनाना या विलोपित करना गैर कानूनी है। किसी गाडी के पीछे, प्लेन में या जहाज में तिरंगा नहीं लगाया जा सकता। किसी सामान्य या बिल्डिंग वगैरह को ढकने में तिरंगे का इस्तेमाल नहीं किया जा सकता। किसी भी स्थिति में तिरंगा जमीन को छूना नहीं चाहिए। तिरंगे को किसी भी प्रकार की यूनिफाॅर्म या सजावट के लिए प्रयोग में नहीं लाया जा सकता। किसी अन्य झण्डे को राष्ट्रीय ध्वज से ऊंचा नहीं रख या लगा सकते। पहले तिरंगा सिर्फ सूर्योदय से लेकर सूर्यास्त तक ही फहराया जा सकता था लेकिन अब इसे दिन रात 24 घंटे फहराया जा सकता है। झण्डा फहराते समय झण्डे का केसरिया भाग ऊपर एवं हरा भाग नीचे की ओर रहना चाहिए। यह भी ध्यान रखें कि झण्डा कभी भी झुका हुआ नहीं रहे। झण्डे को कभी भी पानी में नहीं डुबोया जा सकता, इसको कभी भी फिजिकल डैमेज नहीं पहुंचा सकते। कटा-फटा, क्षतिग्रस्त या अस्त-व्यस्त तिरंग नहीं फहरा सकते। झण्डा अगर फट जाए या फिर मैला हो जाए तो उसे एकांत में मर्यादित तरीके से पूर्ण सम्मान के साथ नष्ट करना चाहिए।

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