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आजादी के अमृत महोत्सव वर्ष में सिरोही के आजाद मैदान में फहराया जैन समाज ने तिरंगा

  • आजादी के अमृत महोत्सव वर्ष में सिरोही के आजाद मैदान में फहराया जैन समाज ने तिरंगा। 
  • देश की आजादी के आंदोलन में सिरोही की भूमिका अहम, गोकुल भाई की वजह से माउंट आबू व दिलवाड़ा राजस्थान में।
  • जैन समाज के नर नारी युवाओ ने लिया संकल्प हम स्वतंत्रता सेनानियों के स्वप्न करेंगे पूरे।

सिरोहीवाले ब्यूरो ऑफिस
हरीश दवे


सिरोही। आजादी के अमृत महोत्सव वर्ष में देश के स्वाधीनता संग्राम में जिले के योगदान का इतिहास स्वर्णिम अक्षरों में अंकित है। राजस्थान के गांधी व कोंग्रेस के तत्कालीन राष्ट्रीय नेता गांधी, पटेल के सहयोगी व प्रजा मण्डल के सेनानियों के साथ जैन स्वतंत्रता सेनानियों के योगदान को याद करते हुए जैन समाज ने आजाद मैदान आदिनाथ वाटिका के निकट ध्वज् फहरा कर सिरोही जिले के स्वतंत्रता आंदोलन में जैन समाज की अग्रणी भूमिका व सामाजिक ऐतिहासिक विरासत को यादगार बनाया l

 

कार्यक्रम के संयोजक आशुतोष पटनी ने शुरुआत में सिरोही के जैन समाज के स्वतंत्रता सेनानियों के बारे मे जानकारी एवं बताया कि स्व. गोकुल भाई भट्ट के नेतृत्व में 22 जनवरी 1939 को इसी आजाद चौक पर समाज के स्वतंत्रता सेनानियों को जनसभा करने से रोकने पर गिरफ्तार किया गया है l

कार्यक्रम में जैन समाज के वरिष्ठजन अरविंद मोदी, करण जी बाफना, पारसराज थानेटिया ने ध्वज फहराया फिर सभी उपस्थित जैन समाज के लोगो ने ध्वज को आदरपूर्वक पुष्प समर्पित किये l

शिवकुमार चौधरी ने इस अवसर सिरोही चौराहे स्वतंत्रता सेनानियों के नाम करने एवं स्वयं के वित्त से इन्हे निर्मित करवाने की घोषणा की।

इस अवसर पर हिन्दू वेव के संयोजक हरीश दवे ने कहा कि देश की आजादी व सिरोही व राजपूताने की आजादी में स्वर्गीय गोकुल भाई भट्ट का योगदान अहम था। उन्होंने गांधी जी की हुंकार पर 1942 में आजादी में अंग्रजो भारत छोडो आंदोलन, करो व मरो व नमक आंदोलन में अहम भूमिका निभाई। गांधी जी की आज्ञा से वो राजपूताने व सिरोही आये व देशी रियासतों के जुल्म के खिलाफ प्रजा मण्डल का गठन किया जिनमे उनके प्रमुख सहयोगी एडवोकेट धर्मचंद सुराणा, पुखराज सिंघी, धनराज तातेड़, पंडित भीमाशंकर शर्मा, वृद्धिशंकर त्रिवेदी, ताराचंद दोषी, बाबूमल सोलंकी, जुहारमल गांधी, खुशाल जी गांधी इत्यादि के साथ रियासत की व्यवस्था के खिलाफ संघर्ष छेड़ा व आजादी की लड़ाई में इसी आजाद मैदान में तिरंगा फहराया। 8 दिसम्बर 1839 में प्रजा मण्डल के आंदोलन में हंजा बेन व उगम बेन के साथ स्वाधीनता सेनानियों ने जब वन्दे मातरम का गान किया तो गोकुल भाई, जुहारमल गांधी व सेनानियों पे लाठीचार्ज व हिंसक प्रहार किया।

दवे ने कहा कि महान गांधीवादी नेता व राजस्थान के मसीहा गोकुल भाई भट्ट की वजह से देश का एक मात्र हिल स्टेशन माउंट आबू व दिलवाड़ा मन्दिर सिरोही राजस्थान का हिस्सा 1956 में गोकुल भाई के आबू बचाओ आंदोलन के बाद अन्यथा आबू गुजरात का हिस्सा होता।

इस अवसर पर उपाध्यक्ष अशोक जैन, हंसमुख कांगटानी, जयंतीलाल शाह, अनूप कांगटानी, अतुल सिंघी, अरविंद मोदी, महेंद्र जैन परमानंद कल्याण जी परमानंद पेढ़ी के अध्यक्ष पंकज गांधी, पारस थानेटिया, दिनेश बोबावत, दिनेश कांगटानी, जयंतीलाल कोठारी, साकेत सिंघी एवं उपसभापति जितेंद्र सिंघी, नितेश लाला व उपस्थित जनो ने जिले के सभी जैन व अन्य स्वतंत्रता सेनानियो को श्रद्धा पूर्वक याद करते हुए जिले के आजादी आंदोलन व प्रजा मण्डल के इतिहास व जैन समाज के योगदान को याद करते हुए उनके अधूरे सपनो को पूरा करने का संकल्प लिया।

समाज के युवाओं नितेश सिंघवी, राजू कांगटानी, जयविक्रम हरण, हेमंत हरण, ऋषभ मरडिया किरण,विवेक कोठारी, जसवंत जैन, अश्विन मेहता, महेंद्र कांगटानी, राकेश बोबावत, कमलेश शाह, रविंद्र शाह, जयंती नानावटी, मुकेश सिंघी, कमलेश सिंघी , प्रकाश सुराना , नरेंद्रभाई जैन, महेंद्र जैन आदि ने कार्यक्रम को सफल बनाया और कार्यक्रम का समापन सामूहिक राष्ट्रगान के साथ हुआ एवं सभी मे राष्ट्र की सेवा और उन्नति में सहभागी बनने का संकल्प लिया गया l

इस अवसर पर रमेश कोठारी ने नाम अनाम उन सभी सिरोही के आजादी के आंदोलन मे भाग लेने वाले स्वतंत्रता सेनानियों को याद कर उन्हे नमन किया l

कार्यक्रम में जैन आचार्य विजयजयचंद्र सुरिश्वर् ने उपस्थित श्रावकों व्रिंदों को शुभाषीश देकर मंगलाचरण सुनाया तथा विश्वशांति का आशीर्वाद देकर आजादी के अमृत महोत्सव में देश और सिरोही के सेनानियों का आभार व्यक्त किया जिनकी बदौलत आज हम अवसर मना रहे है l

इस अवसर मे बड़ी संख्या में जैन समाज के स्त्री पुरूष उपस्थित रहे

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