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पूर्णतया दूषित हो चुकी झालरावाव बावड़ी में श्रमदान हुआ।

श्री साईनाथ सेवा संस्था के स्वच्छ जल स्वस्थ हम अभियान में संस्था के श्रमविरो द्वारा दूसरे चरण में श्रमदान हुआ।
शहर के मध्य में स्थित झालरावाव बावड़ी का निर्माण सन 1785 में राव उदय सिंह की झाली रानी ने कराया था। अन्य बावरियों की तरह यह बावड़ी भी ना केवल उपेक्षा का शिकार है वरन इसके जल से निकलने वाली दुर्गंध व मच्छरों की टोली आसपास के वातावरण व मोहल्ले में बीमारियों को खुला न्योता दे रही हैं। श्रमदान के दौरान कूड़ा, कचरा, पूजन सामग्री के साथ ही जानवरों की हड्डियां भी बावड़ी में पाई गई जो इस बात की ओर इंगित करती है कि भोजन के उपरांत बचा-खुचा हम बावरियों की भेंट चढ़ाते हैं।
हम सभी शहर वासियों के लिए बहुत ही चिंताजनक विषय है।

 

बावडी के आसपास व्यापारी बंधुओं ने कहा कि प्रशासन की बेपरवाही के चलते आम जन घरो से काली पॉलीथिन में भरकर सड़ा गला मना करने के उपरांत भी जल में प्रवाहित करते हैं।
यहां तक कि संस्था द्वारा प्रथम चरण के श्रमदान के तहत जो कचरा बाहर निकला था उसमें एक पीओपी की स्टेच्यू भी थी। वह कचरा अभी ज्यो का त्यो बावड़ी के बाहर शोभायमान हो रहा है साथ ही वह महिला स्टैच्यू पानी में तैरती नजर आई।
श्रमविरो द्वारा सड़ान, दुर्गंध व दूषित हो चुके जल में उतर कचरे को निकाला गया, साथ ही बावड़ी की दीवारों से लगातार लाल मिट्टी जड़ती रहती है उसे ठाटिया व कट्टों में भर बाहर निकाला गया।
लगातार 3 घंटे तक श्रमदान करने वाले श्रमवीरों में संस्था अध्यक्ष विजय त्रिवेदी, गुणवंत सगरवंशी, मुस्ताक अहमद, सलमान खान, गुलाम कादिर, मनीष सगरवंशी, गोविंद चौहान, युवराज सिंह, कमल कुंडी, मो. अजहरुद्दीन, पंकज झाला, राम सिंह, जितेंद्र प्रजापत, प्रकाश माली आदि ने योगदान दिया।
विजय त्रिवेदी ने बताया कि दूषित जल कई तरह की बीमारियों को निमंत्रण देता है। इस बावड़ी का जल जबरदस्त दूषित हो चुका है जो आस पड़ोस में रहने वालों के लिए खतरे की घंटी है। हम सभी के लिए सोचनीय जल ही जीवन है जल है तो कल है।

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