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सर्दी में ठाकुरजी ने बदला पहनावा, ठाकुरजी ने धारण किए ऊनी वस्त्र

रामझरोखा मंदिर में ठाकुरजी को पहनाएं ऊनी वस्त्र। 

बदले मौसम को लेकर मंदिरों में विराजमान भगवान का पहनावा व भोग का मीनू भी बदल गया है। सर्दी के कारण भगवान को अब सूती वस्त्रों की जगह ऊनी वस्त्र धारण कराए जा रहे है, तो उनके भोग मीनू में भी बादाम का हलवा तथा केसर पिस्ता युक्त दूध शामिल कर दिया गया है। इसके साथ ही अब उनको हिना का इत्र लगाया जाएगा। साथ ही मंदिरों में आरती के समय में भी बदलाव किया गया है। पुरातनकाल से ऋतु काल में होने वाले बदलाव के साथ ही मंदिरों में भगवान की आरती, भोग तथा पहनावा बदलने की परंपरा है। शहर के रामझरोखा मंदिर, मुरलीधर मंदिर आदि कृष्ण मंदिरों में सर्दी का असर बढऩे के साथ ही पहनावा और भोग का मीनू भी बदल गया है। रामझरोखा मंदिर के पुजारी गिरीश रावल ने बताया कि जिस तरह से मौसम में बदलाव के साथ मनुष्य की दिनचर्या, खानपान व पहनावे में बदलाव आता है, उसी तरह भगवान के भोग का मीनू व पहनावा भी बदल जाता है। सर्दी के कारण ठाकुरजी को ऊनी पोशाक धारण करवाई जा रही है तथा भोग का मीनू भी भक्तों की भावना के अनुरूप बदला गया है। पुजारी रावल ने बताया कि रविवार से शुरु हुए धनु मास से भगवान के आरती, भोग और पहनावे में बदलाव किया है, जो मकर संक्रांति तक रहेगा। 

आरती के समय में भी बदलाव 

भगवान की आरती के समय में भी बदलाव हो रहा है। अभी तक सुबह की आरती 7.30 बजे तक होती थी, लेकिन अब सवेरे की आरती 7 बजे की जा रही है। शयन आरती के समय में भी आधे घंटे का अंतराल आया है। पहले जहां भगवान की शयन आरती 9.45 बजे होती थी, अब मौसम के बदलाव के कारण शयन आरती 9.15 बजे हो रही है। इसके साथ ही मंदिरों के पट भी आमदिनों की तुलना में अब जल्दी बंद हो जाते है। 

मौसम के चलते भोग का मीनू बदला 

अभी तक दूध से बने कलाकंद तथा अन्य मिष्ठानों का भोग चखने वाले भगवान का मीनू भी भक्तों की भावना के अनुरूप बदला जा रहा है। भगवान को सुबह बादाम का हलवा, गूंद के लड्डू तथा गुड के सीरे का भोग चढ़ाया जा रहा है। शाम को शयन से पहले भी अभी तक ठंडा दूध का भोग दिया जाता था, लेकिन अब केसर-पिस्ता युक्त दूध का भोग लगाया जा रहा है। 

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