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बदहाली का दंश झेल रहे स्कूलों के खाली भवन , असामाजिक गतिविधियों के केन्द्र बनते जा रहे हैं पुराने विद्या मंदिर

सिरोही ब्यूरो न्यूज़

राजस्थान राज्य कर्मचारी महासंघ व शिक्षक संघ राष्ट्रीय ने मुख्यमंत्री अशोक गहलोत व शिक्षामंत्री गोविन्दसिंह डोटासरा को ज्ञापन भेजकर बंद विद्यालय पुनः खोलने की मांग की । बंद विद्यालय भवनों को पीईईओ के माध्यम से मरम्मत व रंग रोगन कर उपयोग में लेने की गुहार की

।वरिष्ठ शिक्षक गोपालसिंह पोसालिया , महासंघ जिला अध्यक्ष दशरथसिंह भाटी व शिक्षक संघ राष्ट्रीय के अध्यक्ष मनोहरसिंह उदावत के अनुसार राज्य सरकार की ओर से प्राथमिक एवं उच्च प्राथमिक स्कूलों को कम छात्र संख्या, समानीकरण व मायोजन प्रक्रिया के तहत पड़ोस के स्कूलों में मर्ज कर ताले लगा दिए गए।

अब सार-संभाल के अभाव में ये एक-एक कर जर्जर की श्रेणी में तब्दील हो रहे है। शिक्षक नेता राव ने बताया कि सिरोही जिले के पांचों मुख्य ब्लॉक शिक्षा अधिकारी कार्यालय के रिकॉर्ड में कुछ स्कूल ऐसे हैं, जो उपयोगी होने के बावजूद बदहाली का दंश झेल रहे है। वहीं विभाग की ओर से कई प्राथमिक व उच्च प्राथमिक स्कूलों की भौतिक हालत खस्ता होने पर इन्हें जर्जर की श्रेणी में डाल दिया। अगर जल्द ही इनकी सार-संभाल के लिए उचित कदम नही उठाए गए तो ये भी अनुपयोगी हो जाएंगे।

हालांकि सरकार ने रिक्त स्कूलों की उपयोगिता के लिए आंगनबाड़ी एवं पशु चिकित्सालय आदि अन्य सरकारी विभागों को हस्तांतरित कर दिया है। लेकिन कई स्कूल ऐसे हैं जिनके एकाध कक्ष ही आंगनबाड़ी एवं पशु चिकित्सालय के काम आ रहे है।
ऐसे में लाखों की लागत से बने अन्य कक्ष नाकारा पड़े है। स्थानीय लोगों का कहना हैं कि जो भवन कभी बच्चों की खिलखिलाहट व घंटी की टन-टन से आबाद रहते थे। वहां अब वीरानी छाई हुई है। ये भवन सिर्फ मीठी यादों के सहारे जिंदा रहने की जद्दोजहद में दिन काट रहे है।
सार-संभाल का अभाव

समानीकरण एवं समायोजन के नाम पर बंद किए गए सरकारी विद्यालयों के भवन सार-संभाल के अभाव में खराब होते जा रहे है। ग्रामीणों का कहना है कि राज्य सरकार ने स्कूलों को मर्ज कर अपनी शिक्षा के समीकरण तो दुरुस्त कर लिए, लेकिन मर्ज हुए स्कूलों की कोई सुध नही ली। एकीकरण के बाद सार-संभाल के अभाव में कई स्कूल जर्जर हो चुके है। इन स्कूलों की देखरेख की जिम्मेदारी निकटवर्ती पीईईओ को दी गई थी, लेकिन उनकी ओर से भी कोई सुध नही ली जा रही। स्थानीय निवासियों ने बताया कि राज्य सरकार जब तक इन स्कूलों का सरकारी कार्य में उपयोग नही करती है, तब तक इन्हें सामुदायिक भवन के तहत ग्रामीणों को शादी समारोह आदि अन्य कार्यों के लिए दे दिया जाना चाहिए। ताकि इनकी उपयोगिता बनी रहे।

बन रहे समाज कंटकों का अड्डा

राज्य सरकार की ओर से मर्ज किए जाने के बाद रिक्त हुए स्कूल स्थानीय रहवासियों के लिए सिरदर्द साबित हो रहे है। इनमें इलाके के समाज कंटकों ने डेरा डाला लिया है। यहां शराबी एवं जुआरियों का जमाबड़ा लगा रहता है। इसके चलते लोगों में अनहोनी का भय बना रहता है।

पिण्डवाडा व आबूरोड सहित सिरोही जिले के दुर्गम विद्यालय भवनों के लोगों ने नहीं छोड़े खिडक़ी- दरबाजे 
स्कूल भवन की उचित देख-रेख नही होने से लोग खिडक़ी-दरबाजे आदि खोलकर ले गए। साथ ही कुछ को क्षतिग्रस्त कर दिया। हालात यहां तक बिगड़े हुए हैं कि आबूरोड , पिण्डवाडा व रेवदर के कुछ विद्यालयों भवनो में कई लोगों ने तो इनमें मवेशी बांधना व चारा रख कब्जा करना भी शुरू कर दिया है ।

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