बालक रवीन्द्र की निश्चल हँसी से अब गूँजता उठता है घर-आँगन.....
सिरोही ब्यूरो न्यूज़
राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य के अंतर्गत बालक रवीन्द्र के हृदय का हुआ सफल ऑपरेशन .
सिरोही- महज 1 वर्ष की उम्र और जन्मजात हृदयरोग की बीमारी ...... पता चलने पर यह बात रवीन्द्र के माता-पिता के लिए यह किसी डरावने सपने से कम नहीं थी। राजस्थान की सबसे ऊँची चोटी गुरुशिखर माउंट आबू एक छोटे से गाँव उतरज जो की समुद्र तल से 4921 फ़ीट की ऊँचाई पर बसा हे . यह पर गुरु शिखर से 7 किमी पैदल जंगलो एवं पहाड़ियों को पार कर पहुँचा जा सकता हे । गुरु शिखर पर एक छोटी सी दुकान चलाकर गुजर-बसर करने वाले पिता गुलाब सिंह की माली हालत ठीक नहीं थी, इस पर अपने कलेजे के टुकड़े की इस भयावह बीमारी एवं इसके उपचार हेतु लाखों के ख़र्च ने उन्हे तोड़ कर रख दिया था
उन्होने रवीन्द्र को लेकर कई अस्पतालों के चक्कर लगाए लेकिन बात नहीं बनी। दरअसल ईलाज के लिए मोटी रकम जुटा पाना उनके बूते से बाहर की बात थी। कुछ सूझता नहीं था और उन्हे बालक रवीन्द्र का भविष्य अंधेरे मे डूबता देखाई देता था । ठीक इसी समय उम्मीद की एक नई किरण बनकर आया राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम।
एक दिन जब राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम की मोबाइल हेल्थ टीम ए के नेतृत्व मे आबूरोड ब्लॉक के माउंट आबू पर्वत के उतरज आंगनवाड़ी केंद्र मे बच्चों के स्वास्थ्य परीक्षण के लिए गई तब उन्हे वहाँ रवीन्द्र की जन्मजात हृदय रोग की बीमारी के विषय मे पता लगा। जब पिता गुलाब सिंह को यह मालूम हुआ कि उनके पुत्र रवीन्द्र का ईलाज राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम के तहत निःशुल्क किया जाएगा तो उसे एकबारगी यकीन ही नहीं हुआ। बच्चे के जल्द ही स्वस्थ हो जाने की कल्पना से ही उसकी आँखें नम हो आईं।
टीम ने बालक रवीन्द्र की स्थिति को देखते हुए उसे तुरंत ज़िला अस्पताल सिरोही रेफ़र किया वहाँ से सर्जरी हेतु ज़िला नोडल अधिकारी डा. दीपेश वानावत द्वारा निजी एंपनेलित गीतांजलि मेडिकल कॉलेज & हॉस्पिटल उदयपुर सर्जरी हेतु रेफ़र कर दिया। बालक रवीन्द्र का गीतांजलि मेडिकल कॉलेज एवं हॉस्पिटल में डा. संजय गांधी एवं उनकी टीम द्वारा रविन्द्र का सफलतापूर्वक का ऑपरेशन किया गया।ऑपरेशन सफल रहा और 08 दिन अस्पताल मे चिकित्सकों की निगरानी के रहने के बाद उसे डिस्चार्ज कर दिया गया। वर्तमान मे बालक रवीन्द्र पूर्णरूप से स्वस्थ है और उसके माता-पिता अपने लाडले को निष्फ़िक्र खेलते -खिलखिलाते देख भाव विभोर हो उठते हैं।
सीएमएचओ डॉ.राजेश कुमार ने बताया की आरबीएसके कार्यक्रम में विशेषकर बच्चों में संभावित होने वाले जन्मजात विकार, शारीरिक दक्षता में कमी, बीमारियां, विकास अवरूद्ध संबंधी विकार एवं अयोग्यता को पहचान कर उनका प्रभावी उपचार सुलभ करवाना मुख्य ध्येय है। इस कार्यक्रम का प्रभावी क्रियान्वयन के लिए समस्त राजकीय चिकित्सालयों के साथ ही प्रतिष्ठित निजी चिकित्सालयों में भी रैफर किये बच्चों को उच्च उपचार सुविधाएं निःशुल्क उपलब्ध करवायी जा रही हैं।
जिला प्रजजन एवं शिशु स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. राकेश कुमावत ने बताया कि चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग के महत्वपूर्ण कार्यक्रम राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम के तहत 0 से 18 वर्ष तक की उम्र के बच्चों का उपचार किया जाता है। आरबीएसके की मोबाइल हेल्थ टीम विभिन्न आंगनवाड़ी केन्द्रों, शिक्षा संस्थानों पर जाकर लगभग 38 बीमारियों से ग्रस्त बच्चों के उपचार मे मदद करती है, मोबाइल हेल्थ टीम बच्चों की जांच कर उस अनुरूप की जाने वाली चिकित्सा हेतु बच्चों को सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र, जिला अस्पताल या फिर मेडिकल कॉलेज एवं निजी एम्पेनेलित अस्पताल पर रेफर किये जाते है। वहाँ इन बच्चों का निःशुल्क उपचार किया जाता है।