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तीर्थंकर भगवंत पाश्र्वनाथ का जन्म कल्याणक महोत्सव की तैयारिया जोरो पर 

सिरोही ब्यूरो न्यूज़

रिपोर्टिंग हरीश दवे

जीरावला व नितौडा पाश्र्वनाथ मंदिरो में आज से अट्टम तप शुरू

1200 से ज्यादा तपस्वी कर रहे अट्टम तप

सिरोही जैन धर्म के 23 वे तीर्थंकर श्री पाश्र्वनाथ का जन्म कल्याणक जीरावला पाश्र्वनाथ तीर्थ एवं चिन्तामणी पाश्र्वनाथ मंदिर नितौडा गांव में धुमधाम से मनाने की तैयारिया जोर शोर से चल रही है। तिथी पोष वदी दसम को बनारस मे हुआ और समुचे जगत की चिंता चिंतन रक्षा एवं जीवो मे आदर करुणा भाव रखने वाले अरिहंतोध तीर्थंकरो के जन्म को जैन प्रथा मे जन्म कल्याणक के रूप मे मनाया जाता है।

श्रीपार्श्वनाथजी जन्म के मोके पर तिथी पोषवद नवमी, दशमी व ग्यारस को तपस्वी श्रद्धालु तीन दिवसीय उपवास व्रत रखते है, जिसको अट्ठम तप कहते है। प्रत्येक तीर्थंकर के पांच कल्याणक है।

पहला च्यवन (कोख मे आना), दुसरा जन्म दिवस, तीसरा दीक्षा, चोथा केवलज्ञान, पांचवा निर्वाण (मोक्ष दिन)। अरिहंतो ने विश्व को सूक्ष्म- अहिंसा की सीख समझन दी है। अरिहंतो की सूक्ष्म अहिंसा को जानने पहचाने मानने धारण करने कराने वाले संयमी व अहिंसाप्रेमी तो हवा पानी मिट्टी वनस्पति बिजली इत्यादि तक की जीव हिंसाओ से सदा बचने व बचाने की पुरी कोशिश मर्यादा विवेक रखते रखाते है। मुलनायक पार्श्वनाथजी के ज्यादातर मंदिरो मे पोषदशमी के पर्व को मेले के रुप मे धूमधाम से मनाया जाता है।  

सरूपगंज से 6 किलोमीटर दुर चिंतामणि पार्श्वनाथ मंदिर नितोडा गांव मे तीन दिन अट्ठम तप का आयोजन श्रीमती कमलाबेन रतीलाल देवचंद शाह परिवार की ओर से पन्यास प्रवर श्री वैराग्यरत्नविजयजी म.सा. की निश्रा मे किया जा रहा है और जीरावला तीर्थ मे आज सुबह सुबह 7 बजे संतश्री आचार्य रवीरत्न सुरीजी मसा व अन्य साधु साध्वी के साथ बाजते गाजते भव्य स्वागत हुआ। जीरावला पोषदशमी मेले के आयोजक लाभार्थी श्रीमती पुष्पाबेन फुलचंदजी सरदारमलजी निंबसोलकी निवासी लुणावा हाल भायखला मुंबई वाला परिवार है और अट्ठम तप के तपस्वी 1200 से ज्यादा है। साधुभगवंतो के प्रवेश पर भाग लेने वाले तपस्वी एवं जीरावला ट्रस्ट की ओर से प्रकाशभाई, चंपाभाई, ललीत भाई, राजेंद्रगांधी, किशोरगांधी, आयोजक परिवारजन, कार्यकर्ता, श्रद्धालु भक्तजन सभी मे खुब उत्साह रही। 

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