ब्रह्माजी मंदिर के मासिक मेले में उमडे समाजबंन्धु
सिरोही ब्यूरो न्यूज़
रिपोर्ट हरीश दवे
गौमाता व मातापिता की सेवा ही उत्तम-गुरु देवांन्दजी।
सिरोही- कालन्द्री कस्बे के नवपरगना राजपुरोहित समाज की ओर से ब्रह्मधाम ब्रह्माजी मंदिर में मासिक माघ सुदी पूर्णिमा मेला महोत्सव का आयोजन गुरुदेव दण्डी स्वामी देवांन्दजी महाराज के सानिध्य में सम्पन्न हुआ। मेले को लेकर पुजारी नारायण लाल रावल द्वारा ब्रम्ह्राजी मंदिर प्रतिमा की आंगी रचना की गई व मंदिर परिसर को फुल मालाओ से सजाया गया। मेले के दोरान लाभार्थी परिवार लीलाराम पुत्र रावताराम रीदुआ निवासी सियाकरा(मोटा मगरा)के मंदिर परिसर में पहुँचने पर ट्रस्टीयो व समाजबंन्धुओ की ओर से ढोल धमाकों के साथ माला पहनाकर स्वागत किया गया। मेले की शुरूआत गणपति प्रतिमा के सामने द्विप प्रज्ज्वलित कर की उसके बाद लाभार्थी परिवार द्वारा देवांन्दजी महाराज का माल्यार्पण कर स्वागत किया गया। मेले में श्री ब्रह्माजी भगवान के मेले को लेकर चढ़ावे भी बोले गए।जिसमे समाजबंन्धुओ ने बढ चढ़कर भाग लिया।मेले के दौरान लाभार्थी परिवार का समाजबंन्धुयो व ट्रस्टीयो द्वारा साफा व माला पहनाकर स्वागत किया गया।उसके बाद दण्डी स्वामी देवांन्दजी महाराज के हाथों राजपुरोहित समाज के नव निर्वाचित सरपंच शांतिलाल पुरोहित, हालीवाड़ा,नून-फुंगनी के सरपंच नेनमल पुरोहित,मनोरा सरपंच श्रीमति लक्ष्मीदेवी पुरोहित, हालीवाड़ा उपसरपंच महेंद्र पुरोहित व मेर मण्डवाड़ा के सरपंच उम्मीदवार भबुतमल पुरोहित व अन्य वार्ड पंचो का भी साफा व माला पहनाकर स्वागत किया गया।स्वागत के बाद गुरुदेव ने उपस्थित समाज बंधुओं को प्रवचन देते हुए कहा कि हमारे हिंदू धर्म में गौमाता का उच्च स्थान हैं और उनके खाने पीने की व्यवस्था करनी चाहिए गौमाता की सेवा सबसे उत्तम है उसके साथ ही अपने मातापिता की सेवा करने की बात कही।और परिवार में छोटो बड़ो को संस्कार का पालन करना प्रत्येक मनुष्यों का कर्त्तव्य है।उन्होंने बताया कि आप शिक्षा से बड़े अधिकारी या पैसो वाले बन जाओगे लेकिन परिवार में संस्कार नही होंगे तो यह पैसे किसी के काम के नही है और बिना संस्कार अपना जीवन व्यर्थ है। कार्यक्रम समाप्ति के बाद समाजबंन्धुओ द्वारा प्रसादी ग्रहण की गई। कार्यक्रम का संचालन भरत पुरोहित द्वारा किया।मेले में श्री ब्रह्मधाम ट्रस्ट के अध्यक्ष प्रमोद जसवंतपुरा,हीरालाल दांतराई,बाबूलाल दांतराई, ईश्वरलाल तंवरी,भंवरलाल वेलांगरी,सुरेश पाडी व,विजयराज नून,हीरालाल सिलंदर,शंकरलाल मनोरा, मदनलाल मनोरा,बाबूलाल मनोरा,रमेश कालंद्री,डायालाल वराडा, गोपाल मनादर,अशोक मोहब्बतनगर,सुरेश वराडा,देवराज सलतरा, धुखाराम वराडा,हरिभाई तवरी,सुरेश मोहब्बतनगर,छगनलाल फ़ासरिया,पुखराज जसवंतपुरा,रतनलाल सनवाड़ा,चमनलाल वलदरा,गणेशराम सिंदरथ,जैसाराम धानता,संतोष गोलाणा,छगनलाल सरतरा,उकाराम सरतरा, भरत सरतरा,कमलेश बावली,राजू एम.सिल्दर,विक्रम मंडवारिया,झालमसिह रानीवाड़ा,भेरूसिंह सिल्दर,कैलास फ़ासरिया, नारायण तबरी समेत सैकड़ो समाज बंन्धु उपस्थित रहे।