श्रावणी पूर्णिमा रक्षाबन्धन पर सावन के अंतिम सोमवार को परम्परागत तरीके से हर्षोल्लास के साथ संपन्न
खास खबरBy Sirohiwale
सिरोही ब्यूरो न्यूज़
रिपोर्ट हरीश दवे
सिरोही श्रावणी पूर्णिमा रक्षाबन्धन पर सावन के अंतिम सोमवार को परम्परागत तरीके से हर्षोल्लास के साथ संपन्न हुआ।
रक्षाबंधन के अलग अलग संमय शुभ मुहूर्त में बहिनो ने भाई के तिलक लगा मुह मीठा कर हाथ पे राखी बांधी ओर दिर्धायु होने की कामना की।ओर सपरिवार देंवनगरी के शिवालयों ओर छोटे बड़े मन्दिरो में भगवान भोले नाथ के मन्दिरो में पूजा अर्चना की ओर आरती में हिस्सा लिया।
जिले के रिच्छेश्वेर, जमदग्नि मन्दिर, भूतेश्वरजी, आम्बेश्वर जी, गोपेश्वर जी, रामेश्वर जी लीलाधारी महादेव, नीलकंठ, देवेश्वर जी, धारेश्वर जी समेत सेकड़ो छोटे बड़े शिव मन्दिरो में शिव भक्तों ने भोलेनाथ को रिझाया ओर पूजा अर्चना कर मन्नते मांगी।
जिले के आराध्य सारणेश्वर महादेव के सावन मास में दर्शन नही होने का भक्तो में गहरा मलाल रहा तथा दूर दराज से आज भी सेकड़ो श्रद्धालु सारणेश्वर मन्दिर के बाहर से दर्शन करके गए।अनेक जन यह कहते दिखे की पृरे संसार ओर सृष्टि के सृजक ओर संहारक भगवान भोलेनाथ है पर घोर कलियुग का प्रताप है कि कोरोना जैसी वैश्विक महामारी में ऐसा समय आ गया है की जो जगत के जगदीश्वर है उनके ही दर्शनों से भक्त वंचित है।
श्रावणी पूर्णिमा के निमित्त अनेक देवालयों में ब्राम्हण समुदाय ने श्रावणी उपाकर्म में शास्त्रोक्त पध्दति से उपनयन बदले।ओर रुद्राभिषेक के बाद विश्व मंगल की कामना ओर कोराना महामारी का हरण करने की भगवान नीलकंठ से कामना की।