मां जगदंबा की प्रतिमा का किया विसर्जन
खास खबरBy Sirohiwale
सिरोही ब्यूरो न्यूज़
जगदम्बे मंडल ने हर्षोल्लास पूर्वक माता को विदाई दी
रिपोर्ट हरिश दवे
सिरोही। शक्ति की उपासना व भक्ति पर्व शारदीय नवरात्र के अवसर पर शहर के हृदय स्थल रामझरोखा मैदान कोरोना के चलते गरबा नृत्य कार्यक्रम नहीं हुए लेकिन जगदम्बे नवयुवक मंडल सिरोही ने अपने 48 वें आयोजन के अवसर पर इसे पारंपरिक तरीके से बनाते हुए विधि विधान से पूजा अर्चना के साथ शक्ति स्वरूपा माता जगदंबा की प्रतिमा स्थापित की, जिसका हर्षोउल्लासपूर्वक तालाब के जल मे विसर्जन करके विदाई दी गई।
जगदम्बे नवयुवक मंडल के संरक्षक लोकेश खण्डेलवाल ने बताया कि बुधवार शाम को विसर्जन से पूर्व पूजा पंडाल में पूरे भक्ति भाव के साथ माता की प्रतिमा की पूजा अर्चना की गई। इसके बाद ढोल थाली के साथ माता के जयकारों के बीच माता की मूर्ति को वाहन पर रखकर सरला टेड वीर बावसी तालाब तक लाया गया, जहां मंत्रोच्चारण के साथ पंडित जीवनलाल ओझा ने अभिषेक पूजा विधि संपन्न करवाई। इस मौके पर मंडल के मुख्य संरक्षक सुरेश सगरवंशी संरक्षक गिरीश सगरवंशी, लोकेश खंडेलवाल राजेश गुलाबवाणी, अध्यक्ष विजय पटेल सहित मंडल सदस्यों ने नगर के समस्त भक्तों के दुख निवारण,सुख समृद्धि एवं शीघ्र कोरोना बीमारी से मुक्ति की मंगल कामना की। मंडल की ओर से प्रतिमा विसर्जन पर विशेष एहतियात बरतकर बिना किसी भीड़ भाड़ के कोविड-19 के बचाव निर्देशों की पालना के साथ आयोजन संपन्न किया। इस मौके पर मंडल के महामंत्री प्रकाश खारवाल, शैतान खरोर, प्रकाश प्रजापति, नितिन रावल, दिनेश प्रजापत, तगसिंह राजपुरोहित, रुपेश शर्मा, परबतसिंह केपी, विकास प्रजापत, मगनलाल मीणा सहित श्रद्धालु मौजूद थे।
विदाई में साथ भोजन भाता व श्रंगार की भेंट -
जिस प्रकार बेटियां अपने ससुराल से मायके जाती है और कुछ दिन बिताने के बाद वापस अपने घर चली जाती है उसी प्रकार मां दुर्गा भी अपने मायके यानी धरती लोक पर नवरात्र में आती है और 9 दिन बाद फिर से अपने घर जैसी मान्यता है शिवजी के पास माता पार्वती के रूप में कैलाश पर्वत पर चली जाती है। बेटियों को विदा करते समय उन्हें कुछ खाने पीने का सामान और श्रंगार की सामग्री की भेंट दी जाती है ठीक उसी प्रकार विसर्जन के समय एक पोटली में मां दुर्गा की प्रतिमा के साथ यह सारा सामान बांधा जाता है उसी परंपरा के तहत जगदम्बे मंडल द्वारा भी प्रतिवर्ष विसर्जन के मौके पर विधि विधान से यह कार्य संपन्न कर विदा किया जाता है।