प्राणी जगत की सर्व श्रेष्ठ सेवा का विकल्प पर्यावरण जागृति : पर्यावरण प्रेमी ओमप्रकाश कुमावत
खास खबरBy Sirohiwale
सिरोही ब्यूरो न्यूज़
रिपोर्ट हरीश दवे
सिरोही पश्चिम राजस्थान में पाली सिरोही, जालोर, जिलो जो विश्व की प्राचीनतम अरावली की पहाडियों गिरा हुआ है जो वनस्पतियों का भण्डार है लेकिन ग्लोबल वार्मिंग व बढते प्रदुषण से पर्यावरण दुषित हो रहा है पर्यावरण प्रेमी चितिंत है
बुंद बुंद से घडा भरता कहावत को सार्थक करते हुए एक व्यक्ति एक पौधा मिशन संचालक व आजीवन पर्यावरण जागृति संकल्प धारी पर्यावरण प्रेमी ओमप्रकाश कुमावत जिन्होंने अपना जीवन पर्यावरण व पशु पक्षियों की सेवा के समर्पित किया है, वे जन्मदिन, पुण्यतिथि, शादी समारोह पर लोगों को पौधा रोपण के लिए प्रेरित करते हैं वे गुलर, बरगद, पीपल, नीम, को बढावा दे रहे, वे लगभग 3000 से ज्यादा पौधा रोपित कर चुके हैं ओर सोशल मीडिया के माध्यम से पांच लाख से ज्यादा लोग जो राजस्थान, गुजरात, मध्यप्रदेश, हरियाणा, दिल्ली, महाराष्ट्र, निवास कर रहे उन्हें पौधा रोपण के लिए प्रेरित कर चुके हैं पर्यावरण प्रेमी ओमप्रकाश कुमावत कई अन्तर्राष्ट्रीय सगठनो द्वारा सम्मानित है
उनके मिशन द्वारा लगाये गये पौधौ में पशु पक्षियों का सबसे प्रिय गुलर का पेड है इसके फल का सेवन लाखों पशु पक्षी व जीवाणु करते हैं इस प्रकार के पौधौ का बढावा देना मानो, समस्त प्राणी जगत की सेवा करना है पौधा मिशन का मुख्य उद्देश्य है लोगों को पर्यावरण के प्रति जागरूक करना, ऐसे पौधा का रोपण करवाना जो प्रत्येक जीवधारी के लाभकारी हो
जानिए क्या होता है गुलर का पौधा
पर्यावरण प्रेमी ओमप्रकाश कुमावत ने बताया कि गुलर का वानस्पतिक नाम फाइकस रेस्मोसा है जो मोरेसी कुल का है इसे हिन्दी में गुलर, स्थानीय भाषा में ऊबरा कहते हैं ये ओषधियाँ गुणो से भरपूर है इसमें प्रोटीन, विटामिन B2, मैग्नीशियम, कैल्शियम, कोपर, पोटैशियम, आयरन, एंटी अल्सर, फास्फोरस, एंटी आक्सीडेंड , एंटी बायोटिक, पोषक तत्व पाये जाते हैं गुलर का पेड के पत्ते, छाल, फल, तना, जड के उपयोग से मुत्र रोग, पेट दर्द, डायबिटीज, ल्युकोरिया, रक्त विकार, गर्भपात कि समस्या से निजात मिलती है
गुलर की सामान्य जानकारी
गुलर का पौधा छायादार के साथ आप जिसकी कटिंग फरवरी माह लगाकर हजारौ पौधे तैयार कर सकते हैं गुलर में फल मार्च से जुन तक लगता है बीजो का एकत्रीकरण जुन _ जुलाई ( बुरे पके, मध्यम पके फलो से करे , प्रति किलो 20 लाख से ज्यादा बीज की संख्या होती है एकत्रीकरण के बाद तुरंत बीजा रोपण करे, अकुरण काल 8 से 15 दिन तक होता है
विशेष तथ्य :- गुलर में फुल अपुष्पी होता है उसका फुल किसी को नहीं दिखता है वह फल के अन्दर ही पाया जाता है फल के दो टुकड़े करने पर हजारों की संख्या में कीड़े जो फल से निकले है वास्तविक तौर पर गुलर का फल प्राणी मात्र के लिए वरदान है
विलुप्त गौरेया पक्षी इस फल को ज्यादा पसंद करते हैं स्वाद में हल्का मीठा होता है, आमजन भी इसके फल का सेवन कर सकते है
आमजन से अपील जन्मदिन, पुण्यतिथि, शादी समारोह हो या कोई भी धार्मिक व सामाजिक कार्यो से पुर्व पौधा रोपण जरूर करे।